“सेवा ही सबसे बड़ा धर्म है”
प्रारंभिक जीवन और शिक्षा
श्री नवीन रंजन श्रीवास्तव का जन्म गोपालगंज, बिहार के मणिकपुर गाँव में हुआ। बचपन से ही वे ग्रामीण जीवन की कठिनाइयों से गहराई से परिचित रहे। उनका सपना भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS) में जाने का था, जिसके लिए वे प्रयागराज (इलाहाबाद) पहुँचे।
जीवन का मोड़
प्रयागराज में अध्ययन के दौरान उनके छोटे भाई का निधन हो गया। शव की तलाश में उन्होंने लावारिस और सड़े-गले शवों की पीड़ा देखी। इस त्रासदी और गुरु के संदेश ने उनके जीवन की दिशा बदल दी और उन्होंने समाज सेवा का मार्ग चुना।
शताक्षी सेवा संस्थान की स्थापना
2011 में उन्होंने शताक्षी एजुकेशनल एंड वेलफेयर ट्रस्ट की स्थापना की, जिसे शताक्षी सेवा संस्थान के नाम से भी जाना जाता है। यह संस्था भारतीय ट्रस्ट अधिनियम 1882 के अंतर्गत पंजीकृत है और आयकर अधिनियम की धारा 12-A एवं 80-G के अंतर्गत मान्यता प्राप्त है।
प्रमुख पहल और अभियान
- Mission Hathiyaar Se Kalam Tak: बाढ़ में डूबे घरों से निकलकर छोटे बच्चे जब पढ़ाई की रोशनी पाते हैं, उनकी आँखों की चमक ही इस अभियान की सबसे बड़ी जीत है।
- Voice of Silence: एक बेटी जब बाल विवाह से बचकर पढ़ाई और अपने सपनों की राह पकड़ती है, तो यह पहल उसकी मुस्कान में दिखाई देती है।
- Shatakshi Helpline: आधी रात को एक फोन, और किसी गरीब के हाथ में राशन का थैला – यही इस सेवा की पहचान है।
- Shatakshi Annapurna Rasoi: गरमागरम टिफिन जब किसी बुजुर्ग के दरवाज़े पर पहुँचता है और उनकी आँखों से आशीर्वाद छलकता है, वही सच्चा संतोष है।
- Antim Vidai: लावारिस शवों को कंधा देकर सम्मानजनक विदाई देना – मानो अपने ही परिवार के सदस्य को अंतिम संस्कार देना।
- Partnership for Education: मुफ़्त शिक्षा केंद्रों में बैठी बच्चियाँ जब पहली बार कॉपी-पेन पकड़ती हैं, तो उनके सपनों को उड़ान मिलती है।
✨ व्यक्तित्व
श्री नवीन रंजन श्रीवास्तव का जीवन संवेदना, साहस और त्याग का प्रतीक है। वे कठिन से कठिन परिस्थितियों में भी समाज की सेवा करते हैं। उनकी पत्नी श्रीमती शिप्ली सक्सेना का साथ, परिवार का मार्गदर्शन और समाज का विश्वास उन्हें निरंतर आगे बढ़ने की शक्ति देता है। वे सच में मानवता के सच्चे पुजारी हैं।